
शहरी जीवन में अति व्यस्थ दिनचर्या के कारण मुख्यतः 30 की उम्र में ही हाई पर टेंशन नाम रोग शुरू हो जाता है। इसका नाम रोग शुरू हो जाता है। इसका आगमन दबे पांव होता हैं। और अचानक स्ट्रोक, अधिकांश और मृत्यु तक का कारण बन सकता है। नमक, चीनी और सतृंप्त वसा तीनो का वजन बढ़ाती है, इन्हें कम करें। मीठे में गुड़, शक्कर, शहद लें। आचार, पापड़ कम करें और फल, सलाद, जूस बिना नमक छिड़के लें। कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए शाकाहार को वरीयता दें। वनस्पति घी के बदले सूरजमुखी और सरसों का तेल खांए। मूंगफली, काजू, बादाम, पिस्ता, चिलगोजे ल खांए। सिगरेट पीने या तंबाकू चबाने की इच्छा होने पर हरे नारियल की गिरी, सौंफ, इलायची, आदि चबांए। शराब का सेवन करें। दो केले रोज खाने सेस रक्तचाप नियंत्रित हो जाता हैं। मैग्निशियम और पोटेशियम अधिक लेना चाहिए।
इनके लिये फलो में अनार, चीकू, सीताफल, केला, अंगूर, अमरूद अच्छें है। पोटेशियम के लिये आंवला, खुमानी, चेरी, निंबे, मौसमी व आडू लें। यों तो आलू, शक्करकन्दी में भी बहुत पोटेशियम है, परन्तु यह वजन भी बढ़ातेें है। दालों में भी यह तत्व बहुत है, पर इन्हें छौकें नहीं। मसालों में साबूत धनिया, जीरा, हल्दी, अदरक, मैथी, दमा, हरी और लाल मिर्च मैग्निशियम और पोटेशियम से भरपुर हैं। संभव हो तो सप्ताह में एक बार हरी सब्जियों के सूप, फलों या सब्जियों के रस पर उपवास करें। खूब जोर से 100 बार ताली बजाएं।
प्रणायाम सीखें व आन्तरिक और बाह्य कुम्भक करें। ध्यान लगाना भी सीखें।दिन में जब भी मौका मिले, शिथिलीकरण (आंखे बन्द करके पूरे शरीर को ढीला छोड़ें) का अभ्यास करें। सोने से पहले 10 मिनट तक गर्म पानी में पिंडलियों तक टांगे डुबो कर रखे। सिर माथे और कनपटियों पर देसी घी या बादाम रोगन की मालिश करें। पैरों के तलवे पर सरसों का तेल मलें। रात में त्रिफला का चूर्ण 2 चम्मच पानी में भिगों दें, प्रातः काल मथकर छानकर 2 चम्मच शहद मिलाकर नित्य पियें।
2 नग नारंगी संतरा नित्य खाये। तरबूत के बीज और खस खस बराबर मात्रा में पीसकर सुबह खाली पेट 1 चम्मच और श्याम में भोजन से पहले 1 चम्मच खायें। सहजन की फली एक मुठ्ठी भर दो कप पानी में उबांले आधा पानी जल जाने पर एक कप पानी (ठण्डा) भोजन के एक घण्टा बाद पियें नित्यप्रति। मैडिटेशन स्वास्थ्य को लाभ पहुचंाता हैः अमरीकन और अफ्रीकी पुरूषों, और स्त्रियों पर एक शोध के फलस्वरूप मन, तन और मस्तष्कि की शांति के लिए मैडिटेशन द्वारा न केवल विभिन्न रोगों के इलाज में सहायता मिलती है बल्कि अच्छें स्वास्थ्य के लिए भी इसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता। रक्तचाप के रोगी को भोजन को चबा-चबाकर करना चाहिए। रोटी में अजवाइन डलवाकर खायें। भोजन करने में कभी जल्दी नहीं करनी चाहिए।
खट्टे-मीठे, तीक्ष्ण, तथा विहादी अन्न का परित्याग करना चाहिए। मिर्च और खटाई रोगो को बढ़ाने वाली है। भोजन सादा और सात्विक होना चाहिए। सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना कम से कम होना चाहिए। भारी वजन कभी नहीं उठाना नहीं चाहिए। चुकन्दर कारस 1 कप, गाजर का रस 1 कप, पपीता का रस आधा कप, संतरा का रस आधा कप मिलाकर दिन में 2 बार लेने से लाभ होगा।