इस विषम काल में मात्र कन्याओं के विवाह की ही समस्या नहीं है, बल्कि लड़कों के लिए भी है। उचित कुल, शील, स्तर एवं सामाजिक प्रतिष्ठा के दृष्टिकोंण में... Read more »
अग्नि पुराण के दो सौ तीसवें अध्याय में यात्रा के समय होने वाले शुभाशुभ शकुनों का विस्तार से वर्णन किया गया है। पुष्कर और परशुराम संवाद के साथ में... Read more »
आईपल्लवितैः परस्परयुतैद्र्वित्रिक्रमाद्यक्षरैः काद्यैः क्षान्तगतैस्स्वरादिभिरथ क्षान्तैश्चतैस्सस्वरैः नामानि त्रिपुरै भवन्ति, खलुयान्त्यन्त्यगुहयानिते तेभ्यो भैरवपत्नि विंशति सहस्त्रैभ्य परेभ्योनमः उपायात्मक मन्त्रों (अक्षरों) के रूप में परमेश्वर ही स्फुटित होता है। ‘मन्त्रोऽपि अन्तर्गुप्त भाषणात्मक परपरामर्श... Read more »
श्री सूक्तः एक प्रयोग आज हम श्री सूक्त के प्रयोग के सम्बन्ध में यह बताना चाहते हैं कि श्री सूक्त के मंत्रों के द्वारा किस प्रकार वांछित परिणाम प्राप्त... Read more »