
रुद्राक्ष का प्रयोग ज्योतिश, तंत्र, मंत्र षास्त्र और आयुर्वेद के साथ साथ भौतिक विज्ञान में विषेश रूप से किया जाता है। सही प्रकार से रुद्राक्ष का प्रयोग करने पर अनेकों बीमारियों को दूर किया जा सकता है। ऋशियों का मत है कि मन की षांति के साथ-साथ रुद्राक्ष को रक्तचाप, घाव भरने, अनिद्रा, अपच, गलगण्ड, बच्चों में दांतों के उद्गम में दर्द से राहत मिलती है। साथ ही मन मस्तिश्क के विकार, स्मरण षक्ति क्षीण होने पर और स्त्री रोगों में जैसे हिस्टीरिया, चक्कर आना और प्रदर आदि बीमारियों में सही तरीके से रुद्राक्ष का इस्तेमाल करने पर राहत मिल सकती है।
1. रुद्राक्ष के बड़े दाने को घिसकर जहरीले घाव पर लगाने से घाव चमत्कारी रूप से ठीक हो जाता है।
2. रुद्राक्ष को मुनक्का एवं भांग के साथ सेवन करने पर स्मरण षक्ति बढ़ती है तथा अनिद्रा एवं अपच की षिकायत दूर हो जाती है।
3. बच्चों को रुद्राक्ष धारण कराने से गलगण्ड, कण्ठमाला तथा दांतों के आने में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
4. चतुर्मुखी ;4 मुखीद्ध रुद्राक्ष को दूध में उबालकर लगातार बीस दिन पीने से मन और मस्तिश्क के सभी विकार दूर होते हैं और साथ ही स्मरण षक्ति यदि क्षीण हो तो चतुर्मूखी रुद्राक्ष का प्रयोग बहुत लाभकारी होता है।
5. चक्कर आना, प्रदर, हिस्टीरिया आदि स्त्री रोगों में छःमुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।